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08 June, 2016

जज्बा-ए -मोहब्बत

है जिन्दा आज भी जज्बा    
अभी मैं झुक नहीं सकता !   
आरजू मुकम्मल हो या न हो
सफ़र ये रुक नहीं सकता !!
जब तुम याद आती हो 
एक कसक सी जगती है...
निगाहें फलक पे टिकती है
नजरे नम हो उठती है...
वही तराना गाता हूँ...
शबनम फिर से टपकती है ...!!

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

सफ़र हो तो जीवन है ...

Jeevan Pushp said...

जी सही कह रहे है !
धन्यवाद !!!

लिखिए अपनी भाषा में...

जीवन पुष्प

हमारे नये अतिथि !

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